जीवन दर्शन

जीवन दर्शन 

  • जीवन की सबसे बड़ी हानि ,समय पर चूकना है । 
  • जीवन का मंत्र , सुनो ज्यादा - कम और मीठा बोलो। 
  • जीवन का सच्चा सुख ,जरूरतमंदों की सेवा करने में है। 
  • जीवन में अपनी इच्छाओं पर विजय पाना सबसे बड़ी जीत है। 
  • जीवन को तीन चीजें बर्बाद कर देती है ,क्रोध ,अहंकार,और घमंड। 
  • जीवन का पचरंग है , प्रेम ,शान्ति ,सन्तुष्ट ,प्रसन्न , और उर्जित  रहना।
  • जीवन को सही चलाने के लिए ,मन को  ठीक करना और सही खुराक देना है। 
  • अपने कर्तव्यों और दायीत्यों में चूक या भूल हेत, हमे प्रायश्चित करना चाहिए। 
  • यदि तुम दूसरों के अपराध क्षमा करोगे तो तुम्हारे भी अपराध क्षमा किए जाएंगे। 
  • ईश्वर की इच्छा के अनुसार अपने आप को तैयार करने की शक्ति के लिए प्रार्थना करें। 
  • विश्राम और मनोरंजन हमारे जीवन की कुल्हाड़ी की धार तेज करने के अनिवार्य अंग है। 
  • अन्य किसी की गलती सुधरने के पहले अपनी गलती ,कमियों,भूलों,त्रुटियों को सुधारना होगा. 
  • जीवन की शक्ति प्राप्त करने के लिए हमें पूर्ण विश्वास के साथ नियमित प्रार्थना करना होगा। 
  • हमें न केवल वचन से, बल्कि उदार पूर्वक अपने सच्चे मन और कर्म से  प्रेम प्रदर्शित करना  चाहिए। 
  • हमारे सपनों से भी अच्छे सपने , हमारे लिए ईश्वर के मन में हैं, जो केवल हमारे भलाई के लिए ही हैं। 
  • हमें यह दृण विश्वास होना चाहिए ,कि ईश्वर  सदा हमारे साथ हैं,हम उसकी छत्रछाया में सुरक्षति हैं। 
  • ईश्वर में अटल विश्वास रखें और ईश्वर  की इच्छा को ही अपनी इच्छा मान कर जीवन में आगे बढ़ें। 
  • ईश्वर हमें प्रतिदिन, हमारी आवश्यकतानुसार नए - नए  उपहार देता है , जरुरत है उसे पहचानने की। 
  • यदि हम निःस्वार्थ,सच्चे ह्रदय से दूसरों की सहायता करते है,तो  हमें भी जरुरत पर सहायता मिलेगी।
  • जीवन में वह सब पूरा नहीं होता जो हम चाहते हैं , हमें वह करना है ,जो ईश्वर हमारे लिए चाहता है। 
  • हम सभी किसी ना किसी बुरी आदतों के शिकार हैं, इनसे छुटकारा पाने के लिए केवल दृण संकल्प चाहिए। 
  • दूसरों की प्रार्थना का उत्तर देने, उनकी सहायता के लिए, ईश्वर को आपकी जरुरत है,क्या आप तैयार हैं। 
  • संसार में कोई भी मनुष्य पूर्ण नहीं है ,हमें अपने  ईश्वरीय अंश की प्रवृति को विकसित करते रहना चाहिए। 
  • अनेक लोग अनजाने या जानबूझ कर हमें तकलीफ पहुंचते हैं ,उनके प्रति हम क्षमा और प्यार का भाव रखें।
  • हम  ईश्वर के  कृपात्र हैं,जिस तरह वह हमें प्यार करता है ,उसी तरह हमें दूसरों को भी प्यार करना चाहिए। 
  • आप दूसरों से जैसा व्यवहार चाहते हों ,वैसा ही दूसरों के साथ करें,अपने अन्दर भलाई के अंश को बढ़ाएं। 
  • मनुष्य स्वाभाव से दुर्बल है ,वह बुराई में  आसानी से आ जाता है ,ईश्वर पर भरोषा ही हमें बचा सकता है। 
  • कभी ,दूसरों से अन्याय पूर्ण व्यवहार ना करें ,बल्कि अपने विरोधियों को  भी  आदर , सम्मान देना चाहिए।
  • उन दिक्क्तों को  सोंच कर  दुखी ना हों,जिसे आप बदल नहीं सकते,उन्हें ईश्वर को समर्पित कर  आगे बढ़ें। 
  • मन ,बुद्धि ,आत्मा और शरीर एक दुसरे के विरोधी हैं ,इनका नियंत्रण और  सामंजस्य आपको ही करना  है। 
  • शरीर को जितना कष्ट देंगे , वह उतना ही सुख देगा । मन को जितना सुख  देंगे वह उतना  ही कष्ट देगा। 
  • शरीर एक कपटी मित्र है,इसे उतना ही दो जितना जरुरी हो ,उससे अधिक  बिलकुल और भूल कर भी नहीं। 
  • आत्मा के गुण हैं - प्रेम,आनंद,शांति,ईमानदारी ,सौम्यता,संयम ,सहनशीलता,मिलनसारी,और दयालुता । 
  • अतीत की बात एकदम भूल जाओ , अधिकाँश  लोगों का व्यतीत जीवन किसी न किसी लज्जास्पद  कार्यों के अंधकार से कभी न कभी अवश्य आच्छादित रहा है। 
                                            अपने पुत्र को यदि अच्छे मार्ग पर ले जाना है ,
                             तो पहले आपको अच्छे मार्ग पर चलना होगा। 

Life changing stories in hindi | जीवन का सच हिंदी ...

Comments