शानदार जिंदगी

शानदार जिंदगी 
आजकल  हर कोई इंसान जिंदगी की दौड़ में इस कदर व्यस्त है , की उसके पास अपने खुद के  लिए समय ही नहीं रहता है , वह कम से कम समय और मेहनत  में बहुत कुछ  पाना चाहता है। इसी पाने की चाहत और सफल होने की चाहत  में वह दौड़ते हुए भीड़ में खो गया है। वह सफलता की ऊंचाई पर पहुंचना चाहता है। परन्तु सफलता की इस अंधी दौड़ में काफी लोग बीच में ही अपने रास्ते  से भटक जाते  हैं, कुछ निराश हो कर अपना हौंसला खो देते हैं ,कुछ आधी अधूरी सफलता पाते हैं। कुछ अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। बहुत थोड़े लोग ही ऐसे  होते हैं जो जीवन में सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँच पाते हैं। परन्तु उन्हें भी  अपने आप को इस ऊंचाई पर लगातार बने रहने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत करना पड़ता है। इसके लिए उन्हें बहुत  कुछ खोना भी पड़ता है। उन्हें बहुत बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है।यहाँ तक की वे अपने परिवार और अपने शरीर तक को भी दाँव पर लगा देते हैं। 
                    ऐसे परिवारों में अशांति और कलह,के साथ  बच्चों में शिष्टाचार की कमी ,असंयम और दुर्गुणों  के साथ उदण्डता भी पनपने लगती है। बच्चे आसहिशुण ,उग्र और विकृत मानसिकता के होने लगते हैं। ऐसे तमाम लोगों में  मोटापा, डायबिटीज ,हाइपरटेंशन , गैस, कब्ज ,अल्सर, बी पी , गठिया ,अवसाद आदि जैसी घातक बीमारियां भी घर कर  जाती हैं। लोग परिवार और समाज से पूरी तरह कट जाते हैं। इस तरह वे अपने व्यवसाय या काम में सफल तो हो जाते हैं परन्तु उनका जीवन नरक हो जाता है ,परिवार टूट जाता है ,कभी - कभी इस तरह से सफल लोगों में जीवन अंतिम पड़ाव तक इनके पास सांत्वना देने  वाला भी कोई नहीं होता है। वे पूरी तरह अकेले , बेसहारा,असहाय और लाचार हो जाते हैं। 
        अधिकतर मध्यम वर्गीय परिवारों में बच्चों को भी सफल होने का ही पाठ  पढ़ाया जाता है।स्कूल एवं कालेज स्तर तक उन्हें  पढ़ाई में अच्छे मार्क्स लाने का दबाव लगातार बना रहता है, जिसके कारण   कभी - कभी काफी बच्चे अवसाद और हीन  भावना का शिकार भी हो जाते है।  अभिवावकों द्वारा कालेज के बाद उन्हें आई आई टी , आई आईएम , मेडिकल कालेज , इंजीनयरिंग कालेज या विदेशों में दाखिले का दबाव बनाया जाता है। परन्तु यदि बच्चे किसी तरह से यह सब कर  भी लेते हैं ,और अपने कोर्स पूरा करने के बाद जब वे वापस समाज में सामाजिक जीवन बिताने के लिए आते हैं ,तो उस समय तक उनके अंदर इंसानियत अंतिम सांसें ले रही होती है। वे  पूरी तरह पैसा बनाने की मशीन बन चुके   होते हैं। आर्थिक तौर पर उन्हें बहुत अच्छा पैकेज मिलता है , उनका लाइफ स्टाइल  हाई - फाई होने के कारण वे परिवार से  कट जाते हैं ,उनके पास परिवार , समाज, यहाँ तक की खुद के लिए भी समय नहीं होता है ।ऐसे लोग  सफल तो हो जाते हैं ,पर बहुतों के  अन्दर इंसानियत अंतिम साँसेँ  ले रही होती  है।  यह तो  रही सफल जिंदगी की कहानी। 

जीवन को शानदार कैसे बनाया जाए 
                या  
शानदार जिंदगी कैसे जिया जाए
आइए अब इसके बारे में चर्चा करते हैं। 
                
शानदार जिंदगी :
 शानदार जिंदगी के लिए हमें अपने जीवन में  जिंदगी के  निम्न पांच पहलुओं में लगातार यथोचित सामंजस्य बनाए रखना पड़ेगा। जिसने भी अपने जीवन  में इन पांचों पहलुओं में यथोचित सामंजस्य बना लिया उसका जीवन ना ही केवल सफल  होगा  वरन उसकी पूरी जिंदगी भी शानदार होगी। यह हमारा व्यक्तिगत अनुभव है। 
जीवन के वे पांच पहलू हैं। 

१- आपका व्यवसाय 
        २- आपका  स्वस्थ्य 
                ३- आपका  परिवार 
                        ४- आपका समाज 
                                ५- आपका  धर्म 

१- आपका व्यवसाय 
            यहॉँ व्यवसाय से तात्पर्य आपके धन अर्जन के स्रोत से है , अर्थात आपकी नौकरी , आपकी दुकान या स्वयं का कोई अन्य  कामधंधा,जिससे आप अपने परिवार के लिए पैसा कमाते हैं। कुछ लोग जरुरत से अधिक समय अपने दफ्तर ,दुकान या फैक्ट्री में  बिताते हैं। परिणाम स्वरुप उन्हें अपने और अपने परिवार के लिए प्रयाप्त समय नहीं मिल पता है।परिवार में तनाव लगातार बना रहता है , एक दुसरे पर दोषारोपण अक्सर होता है। कोई एक दुसरे को समझने का प्रयास भी नहीं करते हैं।  बच्चों में भी उनके प्रति प्यार और लगाव सीमित होता जाता है , कई बार यह भी पाया गया है की इस तरह के लोगों के बच्चे प्रायः गलत रस्ते पर भी चल पड़ते हैं और जब तक उन्हें पता चलता है ,काफी देर हो चुकी होती है।  जिससे उनके ऊपर काफी दबाव बना रहता है , लगातार कुर्सी पर बैठने और पारिवारिक तनाव  के कारण उनमें  टेंसन , फ्रस्टेशन ,गुस्सा , हाइपरटेनस, डायबिटीज , मोटापा , कब्ज और अन्य बीमारियाँ घर कर जातीं हैं , जिससे वे परेशान भी रहते हैं। लेकिन ऐसे लोगों की आदत बन चुकी होती है जिसके कारण उनका पारिवारिक जीवन कलह पूर्ण एवम नारकीय हो जाता है। 
            शानदार जिंदगी बिताने वाले लोग अपने व्यवसाय में उतना ही समय देते हैं जिससे उनके मासिक खर्चे आसानी से पूरे हो जाएँ , उन्हें जरुरत से अधिक पैसों की चाहत बिलकुल भी नहीं होती है ,नौकरी में भी ये लोग जरुरत से अधिक समय अपने दफ्तरों में नहीं बिताते हैं ,ऐसे लोग समय पर ऑफिस जाते हैं , कार्यालय में    लगन से और समय पर अपना काम निपटते हैं ,और समय पर अपने घर आ जाते हैं। दिल दिमाग पर अनावश्यक दबाव नहीं लेते हैं , ना ही इन्हें अतिरिक्त लाभ का कोई मोह होता   हैं। वे समय पर घर आ कर  अपने परिवार एवं बच्चों के संग खुशहाल समय बिताते हैं ,जिससे उनका पारिवार सीमित संसाधनों में भी खुशहालऔर संतुष्ट  रहता है।पूरे परिवार में प्रेम, शांति, सामंजस्य एवं खुशहाली हमेशा बनी रहती है। लोग स्वस्थ, प्रसन्न और एक दुसरे का बहुत ख्याल भी रखते हैं।     

  २- आपका  स्वस्थ्य 
            आपका स्वस्थ, आपके एवं आपके परिवार के लिए सबसे बड़ी संम्पति  है। शानदार जिंदगी बिताने वाले लोग प्रतिदिन अपने ऊपर  व्यक्तिगत तौर पर दो या तीन घंटे जरूर  लगते हैं। जिसमें उनका प्रातः टहलना, व्यायाम , योग ध्यान , मेटिटेशन , व्यक्तिगत साफ़-सफाई ,पूजा ,प्रार्थना और अध्यन शामिल होता है। ऐसे लोग शरीर के साथ मन को भी उत्तम पोषण देना नहीं भूलते हैं , जिसके कारण ना केवल उनका शरीर स्वस्थ रहता  है बल्कि वे मानसिक तौर पर भी स्वस्थ रहते हैं। इस तरह के लोगों को डाक्टरों के पास बहुत कम देखा जाता है , क्यूंकि वे अधिकतर अपना इलाज एवं देखभाल भी खुद ही कर  लेते हैं। 
            शानदार जिंदगी बिताने वाले लोग अपने स्वस्थ के प्रति बहुत ही सजग होते हैं। 

३- आपका  परिवार 
            आपका परिवार ही आपकी अमूल्य निधि है। उनकी  जिम्मेदारी केवल और केवल आपकी है। आप अपने परिवार के लिए सब कुछ हैं ,  बच्चों के लिए आप  ही उनके आदर्श हैं  ,आप ही उनके  हीरो हैं। आपका पूरा परिवार केवल आपकी ही देख रेख में सुरक्षति है ,वे पूरी तरह  आप पर ही निर्भर है। 
            तमाम लोग परिवार से ज्यादा अपने काम को तवज्जो देते हैं , सोंचते हैं की उनका ऑफिस उनके बिना कैसे  चलेगा ,वे अनावश्यक रूप से वहाँ की सारी  जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लेते हैं।  और समझते  हैं कि उनके बिना उनका दफ्तर नहीं चल पाएगा , जबकि वास्तविकता यह होती है की  वे रहें या ना रहें दफ्तर या ऑफिस तो बहुत अच्छी तरह चलेगा , वे नहीं तो कोई और आगे आएगा और  जिम्मेदारी लेगा ,परन्तु उनके परिवार की जिम्मेदारी लेने वाला उनके अलावा कोई और नहीं होगा। फिर भी उनके पास परिवार के लिए  बिल्कुल भी समय नहीं  रहता ,बच्चे उन्हें देखने को तरस जाते  हैं ,उनके प्यार भरे बोल कभी सुनते ही नहीं ,जब भी इस तरह के लोग बच्चों से मिलते हैं ,झल्लाये रहते हैं।उनसे शिकायत ही करते रहते हैं, जरा सोंचिए ऐसे में उनके परिवार और बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। 
            शानदार जिंदगी बिताने वाले लोग अपने  काम और अपने स्वस्थ्य के साथ अपने परिवार को भी पूरा समय देते हैं। परिवार उनकी प्राथमिकता में रहता है। वे कभी भी  अपने परिवार को नजरंदाज नहीं करते हैं। क्यूंकि वे समझते हैं कि  उनके अलावा कोई दूसरा उन्हें देखने वाला नहीं है , आखिर वे जो कुछ भी कर रहे हैं उन्ही के लिए ही तो है। अगर वे ही खुश और संतुष्ट नहीं रहेंगे तो उनका कमाना व्यर्थ है।  शानदार जिंदगी बिताने वाले लोग अपने परिवार को भी खूब महत्व देना अच्छी तरह जानते हैं। इस कारण  उनका जीवन शांत, संतुलित, उर्जित , संयमित और  आनंददायक बना रहता है। और उनका पूरा परिवार भी खुशहाल रहता है। 

 ४- आपका समाज 
             दफ्तर,दूकान  या अपने अन्य काम में अधिक समय बिताने वाले लोगों को प्रायः समाज से कोई लेना देना ही नहीं रहता है। समाज में उन्हें कोई जानता और पहचानता भी नहीं है ,इस तरह के लोग समाज से पूरी तरह से कटे हुए और उपेक्षित होते हैं इनका कोई मित्र , दोस्त ,शुभचिंतक नहीं होता है। ऐसे लोग ही प्रायः अवसाद का शिकार होते हैं। 
            शानदार जिंदगी बिताने वाले लोग अपने  काम ,अपने  स्वस्थ्य और अपने परिवार के साथ- साथ  समाज में भी अपनी उपस्तिथि दर्ज करते रहे हैं। किसी भी सामाजिक  कार्य में ये पूरी सक्रियता , उत्साह के साथ अपना पूरा समय भी देने में पीछे नहीं रहते हैं। जिसके कारण समाज  में इस तरह के लोगों की पहचान और इज्जत होती है , इनकी एक आवाज पर लोग एकत्र हो जाते हैं। इनका कोई भी कार्य कभी रुकता नहीं है। इस तरह के लोगों की मदद के लिए समाज के लोग भी हमेशा तत्पर रहते हैं। 

 ५- आपका  धर्म 
            अभी तक आपने दो तरह के लोगों की जिन्दगियों के बारे में देखा ,एक केवल अपने काम से काम रखने वाला ,दूसरा सबों के साथ सामंजस्य बना कर  चलने वाला व्यक्ति। यहाँ भी स्थित वैसी ही है , अपने काम से काम रखने वाले व्यक्ति को धर्म से कोई लेना देना नहीं होता है ,उसे किसी भी धर्म में कोई रूचि नहीं होती है , वह ना तो कभी प्रार्थना करता है और ना ही कभी मंदिर,मस्जिद,गिजाघर,या गुरूद्वारे जाता है। बहुताय ऐसे व्यक्ति नास्तिक  भी होते हैं । इनके पास पैसे तो होते हैं पर इनका जीवन अशांत और बहुत ही तनाव पूर्ण होता है। 
              शानदार जिंदगी बिताने वाले लोग अपने  काम ,अपने  स्वस्थ्य और अपने परिवार , अपने  समाज के साथ धार्मिक कार्यों में भी बहुत रूचि रखते  हैं। किसी भी धार्मिक कार्य में ये पूरी सक्रियता , उत्साह के साथ पूरी निष्ठां से भाग लेते हैं। प्रायः ऐसे लोग अपने  दिन की शुरुआत  प्रार्थना से करते हैं। समय- समय पर  परिवार और बच्चों के साथ मंदिर,मस्जिद,गिजाघर,या गुरूद्वारे भी जाते रहते हैं। ईश्वर में इनकी पूरी आस्था और श्रद्धा होती है , इनमे प्रायः इंसानियत, प्रेम, दयालुता और सेवा भाव भी देहने को मिलता है। ऐसे लोग जरूरतमंद लोगों की मदद और सेवा करने  में आगे रहते हैं। 

              जो व्यक्ति अपने काम के साथ अपने स्वस्थ्य,अपने परिवार,अपने समाज और अपने धर्म को यथोचित समय और महत्व देता है, साथ ही उसमें,प्यार, इंसानियत , दया , सेवाभाव ,दयालुता और लोगों को माफ़ करने की क्षमता है, उसका जीवन शानदार होता है। इन सब के साथ जीवन जीने वाले व्यक्ति की जिंदगी शानदार होती है।

                जिस तरह खाना बनाते समय मुख्य सामग्री के साथ तेल,घी,मसाले,नमक और पानी मिला कर धीमीं आंच पर पकाने से खाना स्वादिष्ट बनता है , उसी तरह से जब कोई इंसान अपने जीवन को , अपने काम, अपने स्वस्थ्य,और अपने परिवार को समाज रुपी कड़ाही में धर्म की लौ में धीमे - धीमे चलाता है ,   तो ही उसकी  "शानदार जिंदगी "  होती है। 

     आपकी जिंदगी भी शानदार हो सकती है। 
                  आप  प्रयास  तो करें , 


Photo Of Man And Child Reading Book During Daytime


            

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