माँ

                                    माँ मरियम की कहानी 


                    गलीलिया की पवित्र  भूमि में नाजरेथ एक गांव था  
                    खेतीबारी  और व्यवसाव में  जनजीवन व्यस्त  था 
                    वहाँ  एक वृद्ध निःसंतान दम्पति प्रार्थना में लींन था 
                    दाऊद वंशी  अन्ना  और जोवाखिम जिनका नाम  था 
                    
अन्ना और जोवाखिम की प्रार्थना ईश्वर ने सुनी 
इस वृद्धावस्था में  भी एक अभूतपूर्व घटना घटी 
वृद्ध अन्ना ने एक पुत्री को जना जो मरियम हुई 
यहीं से मानव के मुक्ति की योजना प्रारम्भ हुई  

                    मरियम के जन्म से ही शैतान काँपने लगा 
                    सर  कुचलने  का  डर  उसको  सताने   लगा 
                    मानवमुक्ति का  मार्ग धीरे धीरे खुलने लगा 
                    मरियम नाम सुनते ही शैतान दूर भागने लगा 

नाजरेथ में जन्मी एक यहूदी लड़की थी वो 
अन्ना जोवाखिम की प्यारी दुलारी थी वो 
शांत और आज्ञाकारी सुन्दर कुँवारी थी वो 
शास्त्रों की जानकर मुक्क़द्दस प्यारी थी वो 

                        युवा जोसफ से उसकी सगाई हुई 
                        दूत गाब्रियल से उसकी मिलाई हुई 
                        पवित्रात्मा की कृपा से गर्भवती हुई 
                        जिसे स्वीकार कर  प्रभु की दासी हुई 

दूत  से  एलिजाबेथ  की   सूचना  मिली 
उनसे  मिलने  को  तत्काल  जाने  लगी 
एलिजाबेथ ने मरियम का स्वागत किया 
धन्य  आप  और  आपके  गर्भ  का  फल 

                        सम्राट अगस्तुस ने फरमान जारी किया 
                        धर्मी जोसफ ने राजाज्ञा का पालन किया 
                        बेतलेहेम  का  मरियम  ने  रुख  है किया 
                        दुःख  कष्ट  और  पीड़ा  का आदर  किया 

कड़ाके की सर्द रात बेतलेहेम भरा था 
मरियम की अब प्रसव की घडी आ गई 
बाहर गौशाले में उनको जगह जो मिली 
प्रसव  पीड़ा से  चरनी में जनम है लिया 

                        संसार में जीवन  की ज्योति  अवतरित हुई 
                        धर्मग्रन्थ में लिखी  सारी  बाते चरितार्थ हुई 
                        आकाश में   तारों को देख गड़ेरिए हर्षित हुए 
                        तीन  राजा  भी  बालक प्रभु के  दर्शनातुर हुए  

मरियम  ने  बालक  को  मंदिर में अर्पित किया 
दूत  के  आज्ञानुसार बालक  को  नाम येसू दिया 
मरियम ने येसू को मानवजीवन में दीक्षित किया 
काना में येसू ने माँ के आदेश का पालनहै  किया 

                        अब मानवमुक्ति की योजना प्रारम्भ हुई 
                        येसू के दुख भोग में मरियम शामिल हुई 
                        आत्मा  शरीर  से  स्वर्ग को उद्ग्रहीत हुई 
                        स्वर्ग  में   मॉ  मरियम  महिमान्वित हुई 

उनकी सरलता और मधुरता को सब  अपना करें 
उनकी  आज्ञाकारिता का  हम सब भी पालन करे 
उनकी दृढ़ता और शुद्धता का सब जन चिंतन करे 
उनकी उपस्तिथि का अपने जीवन में अनुभव करे 

माँ एक शब्द नहीं - एक एहसास है जो साथ ...



                           

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